ढल गया है आफ़ताब अब कहाँ किधर को चलें.
या यूँ ही तन्हा-तन्हा अपने वीरां घर को चलें..
हमसफ़र गर साथ हो तो जिंदगी जवान हो,
लेकर नए राग-ओ-साज़ हम नए सफ़र को चलें..
या यूँ ही तन्हा-तन्हा अपने वीरां घर को चलें..
हमसफ़र गर साथ हो तो जिंदगी जवान हो,
लेकर नए राग-ओ-साज़ हम नए सफ़र को चलें..
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